Video biography of michael faraday in hindi
माइकल फैराडे
माइखल फ़ैरडे एक अंग्रेजी वैज्ञानिक थे जिन्होंने विद्युच्चुम्बकत्व और विद्युद्रसायन के अध्ययन में योगदान दिया था। उनकी मुख्य खोजों में विद्युच्चुम्बकीय प्रेरण, प्रतिचुम्बकत्व और विद्युदपघटन अंतर्निहित सिद्धांत अन्तर्गत हैं।
वह एक प्रायोगिक भौतिकविज्ञानिक थे। उन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की। अपने जीवन के आरम्भिक काल में उन्होंने पुस्तक-बन्धन की दुकान पर कार्य किया। वह दुकान पर आनेवाली पुस्तकों का अध्ययन करते थे। इससे उनकी विज्ञान में रुचि उत्पन्न हो गई। उन्हें रॉयल इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक सर हम्फ्री डेवी के सार्वजनिक व्याख्यान सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने सावधानीपूर्वक डेवी के व्याख्यानों के नोट तैयार किए और उन्हें डेवी के पास भेज दिया। शीघ्र ही उन्हें रॉयल इंस्टीट्यूट में डेवी की प्रयोगशाला में सहायक बना दिया गया। फ़ैरडे ने बहुत सी क्रांतिकारी खोज (उपरोक्त) कीं। अनेक विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद उपाधियाँ प्रदान करने का प्रयास किया, परन्तु उन्होंने इस प्रकार के सम्मानों को त्याग दिया। फ़ैरडे को किसी भी सम्मान की तुलना में अपने वैज्ञानिक कार्यों से अधिक प्रेम था।
जीवनी
[संपादित करें]माइकल फैराडे का जन्म 22 सितंबर 1791 ई.
को हुआ। इनके पिता बहुत गरीब लोहार थे और लुहारी का कार्य करते थे। इन्होंने अपना जीवन लंदन में जिल्दसाज की नौकरी से प्रारंभ किया। समय मिलने पर रसायन एव विद्युत् भौतिकी पर पुस्तकें पढ़ते रहते थे। सन् 1813 ई.
में प्रसिद्ध रसायनज्ञ, सर हंफ्री डेवी, के व्याख्यान सुनने का इन्हें सौभाग्य प्राप्त हुआ। इन व्याख्यानों पर फैराडे ने टिप्पणियाँ लिखीं और डेवी के पास भेजीं। सर हंफ्री डेवी इन टिप्पणियों से बड़े प्रभावित हुए और अपनी अनुसंधानशाला में इन्हें अपना सहयोगी बना लिया। फैराडे ने लगन के साथ कार्य किया और निरंतर प्रगति कर सन् 1833 में रॉयल इंस्टिट्यूट में रसायन के प्राध्यापक हो गए।
अपने जीवनकाल में फैराडे ने अनेक खोजें कीं। सन् 1831 में विद्युच्चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत की महत्वपूर्ण खोज की। चुंबकीय क्षेत्र में एक चालक को घुमाकर विद्युत्-वाहक-बल उत्पन्न किया। इस सिद्धांत पर भविष्य में जनित्र (generator) बना तथा आधुनिक विद्युत् इंजीनियरी की नींव पड़ी। इन्होंने विद्युद्विश्लेषण पर महत्वपूर्ण कार्य किए तथा विद्युद्विश्लेषण के नियमों की स्थापना की, जो फैराडे के नियम कहलाते हैं। विद्युद्विश्लेषण में जिन तकनीकी शब्दों का उपयोग किया जाता है, उनका नामकरण भी फैराडे ने ही किया। क्लोरीन गैस का द्रवीकरण करने में भी ये सफल हुए। परावैद्युतांक, प्राणिविद्युत्, चुंबकीय क्षेत्र में रेखा ध्रुवित प्रकाश का घुमाव, आदि विषयों में भी फैराडे ने योगदान किया। आपने अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें सबसे उपयोगी पुस्तक "विद्युत् में प्रायोगिक गवेषणाएँ" (Experimental Researches put in the bank Electricity) है।
फैराडे जीवन भर अपने कार्य में रत रहे। ये इतने नम्र थे कि इन्होंने कोई पदवी या उपाधि स्वीकार न की। रायल सोसायटी के अध्यक्ष पद को भी अस्वीकृत कर दिया। धुन एवं लगन से कार्य कर, महान वैज्ञानिक सफलता प्राप्त करने का इससे अच्छा उदाहरण वैज्ञानिक इतिहास में न मिलेगा। सर हंफ्री डेवी भी फैराडे को अपनी सबसे बड़ी खोज मानते थे। उन्होंने पूरे विश्व में सबसे पहले मोटर की कल्पना की और एक प्रयोग में विद्युत से एक छङ को विद्युत धारा में उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र से घुमाया जो कि उनकी पहली खोज थी।
माइकल फैराडे की मृत्यु 25 अगस्त 1867 ई.
को हुई।